Ulcerative Colitis and Crohn’s disease
IBD (इंफ्लेमेटरी बोवेल डिजीज ) क्या होती है ?
IBD हमारे पाचन तंत्र को ग्रस्त करने वाली दो मुख्य बीमारियां अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) तथा क्रोहन रोग (Crohn’s disease) है I अल्सरेटिव कोलाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो कि हमारी बड़ी आंत को लंबे समय तक ग्रसित करती है जिसके कारण बड़ी आंत में घाव बन जाते हैं I क्रोहन रोग मुंह से लेकर बड़ी आंत के निचले हिस्से तक हमारे खाने की नली के किसी भी हिस्से को ग्रसित कर सकती है I इस बीमारी में ना सिर्फ आंत की ऊपरी सतह, अपितु पूरी की पूरी आंत हताहत हो सकती हैI IBD इस प्रकार की बीमारी है जिसकी तीव्रता समय के साथ कम हो सकती है या बढ़ सकती है I जब बीमारी की तीव्रता बढ़ती है तो इस से प्रभावित व्यक्ति के लक्षण भी बढ़ सकते हैंI
अगर किसी व्यक्ति को लक्षण नहीं है तो इसका अर्थ मात्र इतना है की बीमारी की तीव्रता अभी कम है, इसका यह मतलब कतई नहीं की बीमारी समाप्त हो गई है I
IBD क्यों होती है?
IBD किस कारण से होती है इस बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है I ऐसा समझा जाता है कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा की कोशिकाएं हमारी अपनी ही आंत के खिलाफ क्रिया कर देती हैं जिस कारण आंत में विभिन्न जगहों पर जख्म हो जाते हैं I इसके पीछे वातावरण में बदलाव, तनाव, खान पान में परिवर्तन और कुछ अनुवांशिकी कारण हो सकते हैं I
IBD के लक्षण क्या है ?
IBD किसी भी उम्र में हो सकती है, यह पुरुषों और महिलाओं, बच्चों, वृद्ध आदि सबको प्रभावित कर सकती है I आमतौर पर यह 20 से 40 साल की उम्र में लोगों को होती है I इस से प्रभावित लोगों को निम्न लक्षण हो सकते हैं
IBD का निदान कैसे होता है और इस बीमारी की पुष्टि कैसे की जाती है ?
जब कोई व्यक्ति उपरोक्त लक्षणों के कारण डॉक्टर के पास जाता है तो उसके निदान हेतु कुछ जांचें की जाती हैI इनमें से मुख्य हैं:
IBD से ग्रसित व्यक्ति को किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है
अल्सरेटिव कोलाइटिस से ग्रसित व्यक्ति को निम्नलिखित दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है
क्रोहन रोग से ग्रसित व्यक्ति निम्नलिखित दिक्कतों का सामना करते हैं
क्या IBD आंत के अलावा अन्य अंगों में भी कोई दिक्कत करती है?
जी हां, आंत के अलावा भी इस बीमारी में बहुत समस्याएं हो सकती हैं जैसे
IBD के लिए कौन-कौन सी दवाइयां इस्तेमाल की जाती है?
इलाज के लिए बहुत सारी दवाइयां उपलब्ध हैI आपके डॉक्टर इन दवाइयों का चयन आप के लिए बहुत सारे विषयों को ध्यान में रखकर करते हैं जैसे कि आपको अल्सरेटिव कोलाइटिस है या क्रोहन रोग है, आपकी आंत के किस हिस्से में बीमारी है, आपकी बीमारी की तीव्रता कितनी है I जब यह दवाइयां चालू की जाती हैं तो इनसे उम्मीद की जाती है कि आप के लक्षण नियंत्रण में आ जाएं और बीमारी शांत हो जाए I जब यह बीमारी शांत हो जाती है और आप लक्षणों से मुक्त हो जाते हैं तब भी कुछ दवाइयां जारी रखी जाती हैं ताकि यह बीमारी दोबारा से उग्र रूप में ना आ जाएI
मुख्यता जो दवाइयां इस्तेमाल में की जाती है वह है SULFASALAZINE, MESALAMINE, AZATHIOPRINE,MERCAPTOPURINE, TACROLIMUS, CYCLOSPORINE, STEROIDS, BIOLOGICS आदिI इन दवाइयों के अपने अपने फायदे और नुकसान हैं जिसकी विस्तृत जानकारी आप अपने डॉक्टर से ले सकते हैं जैसे कि स्टेरॉयड का लंबे समय तक इस्तेमाल या मनमर्जी से इस्तेमाल हड्डियों को कमजोर कर सकता है, डायबिटीज कर सकता है और इन्फेक्शन का जोखिम बढ़ा सकता है I
IBD के इलाज में SURGERY (शल्य चिकित्सा) का क्या योगदान है और इसकी आवश्यकता कब पड़ती है?
आमतौर पर शल्य चिकित्सा जान बचाने के लिए इस्तेमाल की जाती है I जब अल्सरेटिव कोलाइटिस की तीव्रता बहुत अधिक हो और दवाइयों से फर्क ना पड़े तो सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती हैI इसके अलावा सर्जरी उन व्यक्तियों के लिए भी आवश्यक हो सकती है जिन्हें बार-बार स्टेरॉइड्स की जरूरत पड़े, जिनमें दवाइयों के बहुत अधिक साइड इफैक्ट्स हो रहे हैं, जिनमें आंत्त में रुकावट आ गई होI जिन मरीजों में IBD के कारण कैंसर बन जाए उन्हें भी शल्य चिकित्सा की आवश्यकता पड़ती है I
क्या IBD से ग्रसित महिला मां बन सकती है ?
जिन महिलाओं की बीमारी शांत है और दवाइयों द्वारा कंट्रोल कर ली गई है उनके मां बनने में आम आम तौर पर कोई दिक्कत नहीं होतीI ऐसी स्थिति में आप डॉक्टर से संपर्क करें और इस परिस्थिति के लिए उचित दवाइयों के बारे में सलाह लेI अगर गर्भावस्था के दौरान बीमारी उग्र हो जाए दवाइयों द्वारा इलाज किया जा सकता है लेकिन अपरिपक्व प्रसूति और गर्भपात का अंदेशा बढ़ जाता है
क्या देसी दवाइयों द्वारा IBD का इलाज हो सकता है?
अभी तक देसी दवाइयों द्वारा IBD के इलाज का कोई भी वैज्ञानिक आधार उपलब्ध नहीं है
खानपान का IBD से क्या नाता है?
ऐसा माना जाता है कि भारतीय खाने में पाश्चात्यकरण के कारण आई बी डी बढ़ रही है I यह भी समझा जाता है कि सब्जियां और फल अधिक मात्रा में लेने से IBD का जोखिम कम हो जाता है I जबकि प्रोसैस्ड खाना, फास्ट फूड और जंक फूड, मांसाहारी खाने से IBD बढ़ सकती है I
क्या IBD से ग्रसित लोग दूध पी सकते हैं ?
दूध पीने से दस्त ना हो और यह हजम कर लिया जाए तो दूध पीना चाहिए और इस पर कोई रोक नहीं है I
IBD के मरीजों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
1) IBD के मरीजों को प्रतिदिन व्यायाम, योग या फिर सैर अवश्य करनी चाहिए
2) आपको अपने खाने का ध्यान रखना चाहिए और जहां तक संभव हो ठीक से पका हुआ घर का खाना ही खाएंI
3) आपको साफ़ पानी प्रचुर मात्रा में लेI
4) जब भी भोजन करें तो उसकी मात्रा सीमित रखेंI
5) शराब और सिगरेट का सेवन ना करें और किसी भी प्रकार के नशे से बचेंI
6) अगर आप के लक्षण बढ़ जाए तो तुरंत डॉक्टर से मिले और उनकी सलाह के अनुसार दवाई ले I
7) कभी भी दवाई में परिवर्तन अपने आप ना करें I